टाटा सन्स के बाद अब रतन टाटा ने NCLAT आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका, कहीं ये बातें

 टाटा सन्स के बाद अब रतन टाटा ने NCLAT के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. रतन टाटा ने टाटा ग्रुप के चेयरमेन emeritus के तौर पर याचिका दायर की है. रतन टाटा की याचिका के मुताबिक NCLAT का आदेश तथ्यों से परे है और आदेश में कई तरह की गलतियां है.रतन टाटा ने कहा है कि ट्रिब्यूनल का निष्कर्ष गलत है, यह केस के रिकॉर्ड के विपरीत है. फैसले में एक चुनिंदा बात का प्रचार किया गया, जबकि संबंधित तथ्य और रिकॉर्ड दबा दिए गए. रतन टाटा ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि ट्रिब्यूनल का फैसला खारिज किया जाए. टाटा सन्स भी गुरुवार को ट्रिब्यूनल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी.


टाटा सन्स टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है. टाटा सन्स के 66% शेयर टाटा ट्रस्ट के पास हैं. टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा हैं. वे 1991 से 2012 तक टाटा सन्स के भी चेयरमैन रहे थे.


उनके रिटायरमेंट के बाद सायरस मिस्त्री चेयरमैन नियुक्त हुए, लेकिन चार साल बाद ही हटा दिए गए. अलग-अलग रिपोर्ट्स के मुताबिक सायरस मिस्त्री निवेश के फैसलों में रतन टाटा के खिलाफ थे.


उन्होंने रतन टाटा पर टाटा सन्स के कामकाज में दखल देने का आरोप भी लगाया था. टाटा सन्स के बोर्ड ने 24 अक्टूबर 2016 को मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया था. बोर्ड के सदस्यों का कहना था कि मिस्त्री पर भरोसा नहीं रहा.


इसके बाद रतन टाटा अंतरिम चेयरमैन बने थे. जनवरी 2017 में एन चंद्रशेखरन एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बना दिए गए. मिस्त्री ने चेयरमैन के पद से हटाने के फैसले को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में चुनौती दी थी.


उन्होंने टाटा सन्स के प्रबंधन में खामियों और अल्प शेयरधारकों को दबाने के आरोप लगाए थे. हालांकि, एनसीएलटी ने पिछले साल जुलाई में टाटा सन्स के पक्ष में फैसला दिया था.


इसके बाद मिस्त्री अपीलेट ट्रिब्यूनल पहुंचे थे. मिस्त्री अभी अपने परिवार के कारोबारी समूह की फर्म शपूरजी पलोंजी एंड कंपनी के एमडी हैं.