चीन के खिलाफ भारत को मिली बड़ी सफलता! 20 नए प्रोडेक्ट एक्सपोर्ट करने की तैयारी

चीन और भारत एशिया की दो सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति (India China Business) है, लेकिन आपसी व्यापार के मामले में चीन का पलड़ा भारी है. लेकिन हाल में भारत को एक्सपोर्ट (India Export to China) के मोर्चे पर बड़ी सफलता मिली है. भारत में चीन से होने वाला आयात कम हो गया है. वहीं, भारत का चीन को एक्सपोर्ट 31 फीसदी बढ़ा है. साथ ही, एमवीआईआरडीसी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (MVIRDC World Trade Center) मुंबई की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास चीन को करीब 82 अरब डॉलर मूल्य के 20 उत्पादों का निर्यात करने की क्षमता है. इन उत्पादों में इलेक्ट्रिकल उपकरण और फेरो अलॉय आदि शामिल हैं.  आपको बता दें कि भारत, चीन को गैर-बासमती चावल जैसे कृषि सामानों का निर्यात करने में कामयाब रहा है. इसके अलावा कृषि उत्पादों, पशु चारा, तिलहन, दूध और दूध से बने प्रोडेक्ट और औषधि की डिमांड बढ़ी है.

>> रिपोर्ट के अनुसार 2018 में चीन को कुल निर्यात में इन उत्पादों का हिस्सा 17 फीसदी रहा था. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन उत्पादों का निर्यात बढ़ाकर भारत आसानी से चीन के साथ अपने व्यापार घाटे को कम कर सकता है.

>> रिपोर्ट के मुताबिक, जहां तक इन 20 उत्पादों का सवाल है भारतीय निर्यातकों के पास इनमें प्रतिस्पर्धी फायदे की स्थिति है. अभी भारत द्वारा चीन को इन 20 उत्पादों का 2.7 अरब डॉलर का सालाना निर्यात किया जाता है. यह उसकी कुल क्षमता का मात्र 3.3 फीसदी है.


 भारत से चीन को ऑर्गेनिक केमिकल्स, प्लास्टिक रॉ मैटेरियल, कॉटन यार्न के निर्यात से भारत को व्यापार घाटे को कम करने में कामयाबी हासिल हुई है.>> भारत, चीन को गैर-बासमती चावल जैसे कृषि सामानों का निर्यात करने में कामयाब रहा है. इसके अलावा कृषि उत्पादों, पशु चारा, तिलहन, दूध और दूध से बने प्रोडेक्ट और औषधि की डिमांड बढ़ी है.


 


इस वजह से चीन को बढ़ा एक्सपोर्ट

अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से 'ट्रेड वॉर' हो रही है. इस मौका का फायदा उठाकर कॉमर्स मिनिस्ट्री ने नई स्ट्रैटेजी बनाई. मिनिस्ट्री ने पाया कि भारत में बने 603 सामानों की चीन में बड़ी डिमांड है.
इसे लेकर मंत्रालय ने सभी औद्योगिक संगठनों से ऐसे वस्तुओं की सूची तैयार करने को कहा था जिसकी मांग चीन में हो.

आपको बता दें कि चीन की अर्थव्यवस्था का आकार 11.5 ट्रिलियन डॉलर का है, जबकि भारत का चीन के मुकाबले पांच गुना छोटा है.